Sunday, June 24, 2012

The concept of God in Bishnoi philosophy.

The concept of God in Bishnoi philosophy.

बिश्नोई दर्शन में भगवान
संदर्भसबदवाणी सबद संख्या: 2


मैं ही मुझमें हूँ, मैं ही मुझसे हूँ, समस्त मुझसे उत्पन्न है, मैं स्व-उत्पन्न हूँ, पंचभूत (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, गगन) मेरे द्वारा निर्मित है, मैं पंचभूत से निर्मित नही हूँ. रक्त, मांस एंव धातु मेरे घटक नही है. मैं स्वेन्द्नाओं एंव इन्द्रियों से परे हूँ. मैं सर्वत्र व्याप्त हूँ. तीनों लोकों के जड़ एंव चेतन में मैं समान रूप से उपस्थित हूँ. मेरा ध्यान आत्मा को अंत समय मुझमे ही समाहित कर देता है जिसे मोक्ष कहते हैं. मोक्ष अंतिम सत्य है और मैं मोक्ष का स्वरुप, प्रदाता कारक हूँ. मेरा कभी आरम्भ नही हुआ ही कभी अंत ही होगा. आरम्भ एंव अंत की भौतिक अवस्थाएं मुझ पर चरितार्थ नही होती है. जिस सृष्टि को  सब कुछ मानकर ज्ञान की उच्चतम अवस्था प्राप्ति का तुम्हे भ्रम हो गया है उसकी उत्पत्ति मेरे स्वरूप का एक भाग मात्र है. मेरे सम्पूर्ण स्वरूप का अनुमान लगा पाना सम्भव नही है. आदि अनादी का सृजन मुझसे है, मेरा सृजनकर्ता कोई नही है. इस ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियाँ मुझमें समाहित है, यह ब्रह्माण्ड जो तुम्हे दिख रहा है (अथवा जो तुम्हे नही भी दिख रहा है) उसका संचालनकर्ता मैं ही हूँ. तुम इस सृष्टि के एक भाग भर को ग्रहण करके अभिज्ञात का दंभ भर रहे हो मैं असंख्य ब्रह्मांडों को रचने वाला हूँ.

 

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