सेवा में,
मुख्य कार्यकारी
अधिकारी,
राजपाल एंड संस प्रकाशन,
1590 मदरसा रोड, कश्मीरी गेट
दिल्ली-11006
राजपाल एंड संस प्रकाशन,
1590 मदरसा रोड, कश्मीरी गेट
दिल्ली-11006
विषय: "बिश्नोई"
शब्द को राजपाल शब्दकोशों में सम्मिलित करवाने के सन्दर्भ में.
आदरणीय महोदय,
राजपाल प्रकाशन वर्ष 2012 में प्रकाशन के सौ वर्ष पूर्ण
करने की भव्य उपलब्धि प्राप्त कर रहा है. इस हेतु सर्वप्रथम मैं
आपको बधाई और शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ. एक शताब्दी की इस
सफल प्रकाशन यात्रा में राजपाल प्रकाशन ने देश को गौरवान्वित किया है. भारतीय भाषाओँ की इस प्रकाशन के द्वारा की गयी सेवाएँ अद्भुत एंव अनुकरणीय
है. राजपाल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एंव डॉ हरदेव बाहरी द्वारा
लिखित विभिन्न शब्दकोष करोडो भारतियों की अकादमिक यात्रा के अवियोज्य
संगी रहे हैं. इन वृहद शब्दकोशों की सटीकता, प्रासंगिकता तथा भारतीय समाज में इनकी आवश्यकता संदेह से परे है.
महोदय प्रस्तुत पत्र मैं आपको वर्तमान परिपेक्ष्य व व्याकरणीय दृष्टि से अत्यंत ही महत्वपूर्ण शब्द "बिश्नोई" को इन शब्दकोशों में सम्मिलित करने की प्रार्थना-स्वरूप
प्रेषित कर रही हूँ.
"बिश्नोई" एक उत्तर भारतीय समुदाय है जो की मुख्यत: महान थार मरुस्थल (राजस्थान),
पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश आदि राज्यों
में बसता है. यह समुदाय अपने प्रकृति प्रेम व वृक्षों एंव वन्य जीवों की रक्षार्थ दिए गए
बलिदानों के लिए विश्व प्रसिद्द है. सन 1485 में महान पर्यावरणविद संत गुरु जम्भेश्वर जी के
द्वारा स्थापित यह समुदाय 29 नियमो का पालन करता है जिसके
कारण इस समुदाय का नाम बिश्नोई (20+9) पड़ा. इन उनतीस नियमों में से आठ नियम प्राकृतिक
संसाधन एंव जैव-विविधता संरक्षण का निर्देश देते हैं.
इस समुदाय के लोग शुद्ध शाकाहारी होते हैं एंव इनके खेतों में हिरन, नीलगाय, मौर, तितर आदि पशु और पक्षी
निर्भीक विचरण करते देखे जा सकते हैं. ये हरे वृक्ष को ना तो काटते हैं एंव ना ही काटने देते हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध
दोहन के युग में बिश्नोई समुदाय पर्यावरण रक्षा को समर्पित संभवत विश्व का सबसे बड़ा मानव समूह है. वन्य प्राणियों एंव वनस्पति की प्रजातियों में विविधता बिश्नोई बहुल
क्षेत्रों का भौगोलिक संकेतक है. जहाँ विश्व की जैव-विविधता
लुप्त होने के खतरे से दो-चार है वहीँ बिश्नोई बहुल क्षेत्र इको-पर्यटन के केंद्र
बनने की और अग्रसर है. बिश्नोई समुदाय की पर्यावरण रक्षा के प्रति निष्ठा अभूतपूर्व एंव अतुलनीय है. प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण में
बिश्नोई समुदाय का पारम्परिक ज्ञान जलवायु-परिवर्तन एंव प्राकृतिक पर्यावरण के ह्राश का सामना
कर रहे आधुनिक विकासोन्मुख विश्व के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकता है. आवश्यकताएं कम रखना
एंव उन्हें बिना प्रकृति को हानि पहुंचाए पूरा करना इस पांच शताब्दी पुराने
समर्पित समुदाय की पर्यावरण के सफल संरक्षण की कुंजी है.
कुछ कारणों से इस महान समुदाय का नाम अभी तक हिंदी भाषा, जिस से की यह उत्पन्न हुआ है, के शब्दकोशों
का भाग नही बन पाया है. तथापि यह प्रत्येक
प्रकार से हिंदी भाषा का अंग बनने का ना केवल सामर्थ्य रखता है वरन प्राकृतिक अधिकारी भी है. "बिश्नोई" शब्द को राजपाल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हिंदी के सर्वाधिक
लोकप्रिय एंव प्रतिष्ठित
शब्दकोशों में सम्मिलित करने के
आग्रह की पृष्ठभूमि के पक्ष में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:
1.
प्रतिष्ठित
विकिपीडिया वेब साईट का बिश्नोई वेब पेज है. (प्रति सलंग्न, अनुलग्नक:1)
2.
इसी वेब साईट का
बिश्नोई समुदाय के संस्थापक "गुरु जम्भेश्वर" के नाम से भी वेब पेज है. (प्रति
सलंग्न, अनुलग्नक:2)
3.
सन 1730 में जोधपुर राजस्थान के खेजडली नामक स्थान पर राजा की आज्ञा से खेजड़ी (Prosopis cineraria) के वृक्ष काटने आये
सैनिको का विरोध करते हुए 363 बिश्नोई लोगों ने पेड़ों से चिपकते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया. प्रकृति प्रेम का ऐसा
अनूठा उदहारण समस्त विश्व में कहीं से भी प्राप्त नही होता है. इस स्थान पर शहीद स्मारक बना हुआ
है जो विश्व को पर्यावरण संरक्षण
की प्रेरणा देता है. (संदर्भ संलग्न, Wikipedia
Khejarli, अनुलग्नक:3)
4.
इसी घटना की याद में वन
एंव प्रयावरण मंत्रालय
भारत सरकार ने
अमृता देवी बिश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार Amrita Devi Bishnoi Wildlife Protection Award की स्थापना की. (संदर्भ संलग्न Jatland
Amrita Devi, अनुलग्नक:4)
5.
यही महान घटना भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के द्वारा चलाये गए असहयोग
आन्दोलन की प्रेरणा बनी. (संदर्भ संलग्न,
अनुलग्नक:5)
6.
इसी घटना से प्रेरित
होकर सन 1970 के दशक में वर्तमान
उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन चला. चिपको आन्दोलन के वास्तविक
जन्मदाता बिश्नोई ही हैं. (संदर्भ संलग्न, अनुलग्नक:3, 4)
7.
खेजडली नाम से
विकिपीडिया का पेज है. (प्रति सलंग्न,
अनुलग्नक:3)
8.
बिश्नोई शब्द बीस +
नौ से मिलकर बना है. बिश्नोई समुदाय गुरु जम्भेश्वर जी के द्वारा प्रतिपादित
उन्नतीस नियमों का पालन करता है. इनमे से आठ नियम प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप
से पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित हैं. (नियम सूची सलंग्न, अनुलग्नक:6)
9.
बिश्नोइयो को दी गयी
कुछ मुख्य उपाधियाँ इस प्रकार हैं: The first ecologists,
The tree huggers, Conservationist since 15th century, The
environmentalists. वेब पर बिश्नोइयो की प्रसश्ती में असंख्य
लेख एंव उनकी पर्यावर्णीय सचेतता को दर्शाने वाले असंख्य विडियो उपलब्ध है. बिश्नोइज्म को Eco-Religion तक की उपाधि दी गयी है. (वेब संदर्भ)
10.
वन्य प्राणियों की रक्षार्थ बिश्नोई
समुदाय के लोगों के द्वारा दिए गए आत्म बलिदानों की एक सन्दर्भ सूचि प्रस्तुत पत्र के साथ सलंग्न है. (अनुलग्नक:7)
11.
Google Transliteration (http://www.google.com/transliterate),
जो की लिप्यान्तरण की प्रसिद्द वेब साईट है, बिश्नोई शब्द को मान्यता देती है. (अनुलग्नक:8)
12.
अंतर भाषाई अनुवाद की एक अत्यंत ही प्रशिद्ध वेब साईट Google
Translation (http://www.google.com/translation),
भी बिश्नोई शब्द को मान्यता देती है. (अनुलग्नक:9)
13.
Google Trends (www.google.co.in/trends),
नामक वेब साईट गूगल सर्च एंजिन
में सर्च किये जाने वाले शब्दों का रिकॉर्ड रखती है. इस वेब साईट में जब बिश्नोई
शब्द की सर्च फ़्रीक़ुएन्सी( Search frequency)
सर्च की जाती है तो यह एक टाइम स्केल ग्राफ दिखता है जो यह दर्शाता है की बिश्नोई
शब्द गूगल में उच्च फ़्रीक़ुएन्सी (Significantly
high frequency) में सर्च किया जाने वाला शब्द है. (अनुलग्नक:10)
अन्य बहुत सारे ऐसे सन्दर्भ हैं जो पत्र को वृहद एंव पढने में दुष्कर
बना सकते हैं. किन्तु तात्पर्य यह है की "बिश्नोई" शब्द लोकप्रियता, प्रासंगिकता, समसामयिक महत्वपूर्णता एंव हिंदी व्याकरणीय दृष्टिकोण से प्रत्येक प्रकार से हिंदी
शब्दकोशों का भाग बनने का सामर्थ्य रखता है. यह हिंदी भाषा का एक ऐसा महतवपूर्ण
शब्द है जिसे अभी तक शब्दकोशों में सम्मिलित ना होने की वजह से वह स्थान नही मिल पाया है जिसका की यह अधिकारी है.
इस शब्द की परिभाषा मैं विश्वाश रखती हूँ की राजपाल एंड संस प्रकाशन के
विद्वान् गढ़ सकते हैं, किन्तु इसकी एक
संभावित परिभाषा इस प्रकार हो सकती है.
बिश्नोई: सन 1485 में महान संत पर्यावरणविद श्री जाम्भो
जी द्वारा स्थापित प्रकृति प्रेमियों का हिन्दू भारतीय समुदाय जो की पर्यावरण
रक्षार्थ दिए गए बलिदानों के कारण जाना जाता है. ये उन्नतीस नियमों का पालन करते
हैं तथा चिपको आन्दोलन के आविष्कारक हैं.
बिश्नोइयो की अज्ञात स्थिति
संभवत: उनकी यश कामना की प्रवृति न होने के कारण हैं. कृपया
"बिश्नोई" शब्द को राजपाल प्रकाशन के शब्दकोशों के आगामी संस्करणों में स्थान देकर इस संख्या की दृष्टि से लघु, किन्तु महान समुदाय को आदरांजली देने की कृपा करें ताकि
विश्व इस समुदाय की संरक्षणवादी मानसिकता के बारे में जान सके तथा लाभ उठा सके.
आपकी अति कृपा होगी.
भवदीया
संतोष पुनिया
No comments:
Post a Comment