“शब्द”
उपजी हूँ धरा से लिया है शब्द ने संभाल,
शब्द ही है शस्त्र मेरा चुनौती पर रखती
हूँ काल।
शब्द मधुर, शब्द कठोर, शब्द ही मेरा सार,
शब्द रूद्र, शब्द शुद्र शब्द मेरा आकार।
शब्द से मुक्ति शब्द से शक्ति शब्द में
मेरे धार,
शब्द अभिव्यक्ति शब्द आसक्ति शब्द ही मेरा
आहार।
घोर स्वयम्भू घनघोर शब्द-प्रहरी शब्द-नायक
हूँ,
अंध अशब्द युग में शब्द की परिचायक हूँ।
वर्तमान के धरातल पर भविष्य की लेखनी से
इतिहास लिखती हूँ,
शब्द-शक्ति से संचालित हूँ न डरती हूँ न
थकती हूँ।।
संतोष पुनिया